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अमरनाथ यात्रा

#अमरनाथ_यात्रा पार्ट:- 5 हरहर महादेव🙏 जय बाबा बर्फानी, भूखे को अन्न और प्यासे को पानी। अमरनाथ यात्रा के लिए दो मार्ग प्रचलित हैं। पहला पारम्परिक मार्ग जिससे होकर महादेव🙏 स्वयं गए थे। जो पहलगाम से अमरनाथ गुफा तक। दूसरा बालटाल से। पहलगाम पहुचने के लिए जम्मू से अनंतनाग और वहाँ से श्रीनगर वाले रूट से सड़क अलग हो जाती है। अमरनाथ कथा के अनुसार माँ पार्वती की जिद पर, भगवान भोलेनाथ उन्हें अमरकथा सुनाने के लिए साथ लेकर चले, उन्होंने एक स्थान पर नंदी बैल को छोड़ दिया जिसे आज पहलगाम कहते हैं। पहलगाम से 16 किलोमीटर दूर चंद्रमा को छोड़ दिया जिसे चंदनवाडी कहते हैं। चंदनवाडी से पद यात्रा शुरू होती है जो गुफा तक 32 किलोमीटर की है। पदयात्रा में पिस्सू टाप, शेषनाग झील, गणेश टाप, पंचतरणी और संगम और फिर बाबा बर्फानी की गुफा आती है। जाने के लिए यही मार्ग चुना था और आने के लिए गुफा से बालटाल नीचे उतर जाने का विचार था। हमने तय किया कि अब 10.30 बज गए हैं चंदनवाडी में तो आज केवल शेषनाग तक ही चलते हैं वहीं रूकेगें, और दूसरे दिन गुफा पहुँच कर रूकेगें, जहाँ दर्शन आरती करके, तीसरे दिन सुबह नहाकर फिर से

अमरनाथ यात्रा भाग 4

#अमरनाथ_यात्रा पार्ट:- 3 घर से हम लोग 5 जुलाई 2022 को निकले थे और आज 7 जुलाई को पहलगाम में थे, जहां बिना रजिस्ट्रेशन वाले एक होटल में रूके, वहीं रजिस्ट्रेशन वालों ने पहलगाम बेसकैंप में रूके, जिनमें ब्रजेश पाण्डेय जी, सुनील रूहेला जी, सुनील गुप्ता जी, अंशुमान चक्रपाणि जी भी अपने अपने ग्रुपों के साथ बेसकैंप में रूके हुए थे।जब शाम तक रजिस्ट्रेशन न हो पाया तो तय हुआ कि कल सुबह 5 बजे से क्लब हाउस में जाकर लाइन लगा कर टोकन लिया जायेगा। अन्य लोग जिनका रजिस्ट्रेशन था वे सब कल सुबह से अपनी यात्रा शुरू करेंगे। यहीं पर सचिन सिद्धू जी से भी मुलाकात हुई। मैं भी रूक गया। 08 जुलाई को हम-सब सुबह 4 बजे उठकर,ब्रश करके क्लब हाउस पहुच गये, जहां राम गुलाब और अंकुर जी लाइन में लग गए और मैं संजय मिश्रा जी के अनुसार लगभग भागते हुए पहलगाम चेकपोस्ट तक गया कि वहां अभी तुरंत रजिस्ट्रेशन होने की उम्मीद है, वैसे संजय मिश्रा जी भी वहां तक पहुंचे लेकिन वहां भी कुछ न हुआ। अब बात करते हैं क्लब हाउस रजिस्ट्रेशन के बारे में,मेरा यह कहना है कि बिना रजिस्ट्रेशन के यात्रा पर बिल्कुल मत जाइये, आप के पास यदि रजिस्ट्रेशन नही

अमरनाथ यात्रा 3

#अमरनाथ_यात्रा पार्ट:- 3 घर से हम लोग 5 जुलाई 2022 को निकले थे और आज 7 जुलाई को पहलगाम में थे, जहां बिना रजिस्ट्रेशन वाले एक होटल में रूके, वहीं रजिस्ट्रेशन वालों ने पहलगाम बेसकैंप में रूके, जिनमें ब्रजेश पाण्डेय जी, सुनील रूहेला जी, सुनील गुप्ता जी, अंशुमान चक्रपाणि जी भी अपने अपने ग्रुपों के साथ बेसकैंप में रूके हुए थे।जब शाम तक रजिस्ट्रेशन न हो पाया तो तय हुआ कि कल सुबह 5 बजे से क्लब हाउस में जाकर लाइन लगा कर टोकन लिया जायेगा। अन्य लोग जिनका रजिस्ट्रेशन था वे सब कल सुबह से अपनी यात्रा शुरू करेंगे। यहीं पर सचिन सिद्धू जी से भी मुलाकात हुई। मैं भी रूक गया। 08 जुलाई को हम-सब सुबह 4 बजे उठकर,ब्रश करके क्लब हाउस पहुच गये, जहां राम गुलाब और अंकुर जी लाइन में लग गए और मैं संजय मिश्रा जी के अनुसार लगभग भागते हुए पहलगाम चेकपोस्ट तक गया कि वहां अभी तुरंत रजिस्ट्रेशन होने की उम्मीद है, वैसे संजय मिश्रा जी भी वहां तक पहुंचे लेकिन वहां भी कुछ न हुआ। अब बात करते हैं क्लब हाउस रजिस्ट्रेशन के बारे में,मेरा यह कहना है कि बिना रजिस्ट्रेशन के यात्रा पर बिल्कुल मत जाइये, आप के पास यदि रजिस्ट्रेशन नही

अमरनाथ यात्रा भाग 2

#अमरनाथ_यात्रा पार्ट:- 2 सुबह 3 बजे से तैयारी शुरू हुई पहलगाम जाने की,मन तो नही था क्योंकि साथ के दो लोगों का रजिस्ट्रेशन न था इसलिए उन्हें चंदनवाड़ी चेकपोस्ट से आगे न जाने देंगे और मैं उनको छोड़ कर अकेले जा न सकता था, अंत में सबकुछ महादेव पर छोड़ कर संजय मिश्रा जी पर विश्वास करके,बैग उठाकर चल पड़े। साथ के अन्य लोग भी चल रहे थे और ग्रुप में लगभग 20 लोगों का रजिस्ट्रेशन न था इसलिए सोचते भी थे कि जो होगा देखा जायेगा। जम्मू के चौक पर बस का इंतजार शुरू हुआ,हम लोगों की दो बसें अलग से थी,जो जम्मू बेसकैंप से न जाने वाली थी। लगभग 4.30 बजे सुबह बसें आई और हम-सब अपने अपने बैग उठाकर चल पड़े। बस जैसे ही जम्मू सीमा से बाहर निकल रही थी वैसे ही चेकपोस्ट पर रोक दी गई और कहा गया कि सुबह 6 बजे के पहले आप लोग नहीं जा सकते हैं। फिर बसें वापस आ कर रूक गई और सुबह 6 बजे का इंतजार शुरू हुआ।6 बजे तक बहुत सी गाडियां लाइन में लग गई श्रीनगर और अमरनाथ जाने वालों की। 6 बजे के बाद पुनः यात्रा शुरू हुई और हम सब हर-हर महादेव 🙏 के उद्घोष से मन प्रसन्न करके चल दिए। बस में राजस्थान का एक ग्रुप था। ब्रजेश भाई भी अपने ग

अमरनाथ यात्रा

#अमरनाथ_यात्रा पार्ट:- 1 वर्ष 2020 में अमरनाथ यात्रा की बड़ी इच्छा जागृति हुई, तो आलोक भैया के लगभग 50 लोगों का ग्रुप तैयार था, उसी में मै भी शामिल हो गया, अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने जैसे ही यात्रा की तिथियाँ और मेडिकल, रजिस्ट्रेशन का नोटिफिकेशन जारी किया तो हम लोग भी जिला अस्पताल पहुचकर अपना मेडिकल करा लिए, और उसके बाद रजिस्ट्रेशन, यह सब अप्रैल के मध्य तक संपन्न हो चुका था, लेकिन तबतक कोरोना भी फैलने लगा था, मई- जून में कोरोना अपने भयावह रुप में था और श्राइन बोर्ड ने अमरनाथ यात्रा स्थगित कर दी। महादेव की इच्छा मानकर, उन्हें प्रणाम करके हम भी शांत बैठ गए, वर्ष 2021 में भी यात्रा स्थगित ही रही। इसी बीच कोरोना पाजिटिव भी हुआ और फिर ठीक भी, लेकिन तब से लेकर आजतक ब्लडप्रेशर अनियंत्रित हो गया, कोरोना ने अपना असर छोड़ दिया है जो अभी भी है। खैर आगे चलते हैं। वर्ष 2020 और 2021 में यात्रा स्थगित रही, लेकिन 2022 में यात्रा होना श्राइन बोर्ड की ओर से निश्चित हुआ, फिर अपने संजय मिश्रा भाई जी के ग्रुप के साथ यात्रा का प्लान बना। हमारी यात्रा जुलाई के प्रथम सप्ताह में होना निश्चित था, उसी के अनुसार मे

लाहौल स्पीति

लाहौल और स्पीति वैली....स्पीति सर्किट के बारे मे जानकारी.... अकसर लोग मेरे से पूछते हैँ की स्पीति जाना हैँ या लाहौल जाना हैँ तब मै पूछता हूँ की लाहौल और स्पीति मे कहा जाना हैँ इस पर लोग कंफ्यूज हो जाते हैँ उनको लगता हैँ की ये दोनों एक पर्टिकुलर प्लेसेस हैँ.... लेकिन ऐसा नहीं हैँ आज मै बताता हूँ इसके बारे मे...लाहौल और स्पीति मिलाकर हिमाचल का एक जिला बनता हैँ, लाहौल वैली अलग हैँ और स्पीति वैली अलग हैँ, ये हिमाचल और भारत के सबसे रिमोट जिले मे से एक हैँ, सर्दियों मे यहॉ - 25 डिग्री तक तापमान चला जाता हैँ, आज मै आपको बताता हूँ की ये जिले की सीमाएं कहा से शुरू होती हैँ और कहा समाप्त... स्पीति और स्पीति वैली.... अगर हम चंडीगढ़ या शिमला से जाते हैँ तो सबसे पहले शिमला जिला आता हैँ उसके बाद किन्नौर जिला, किन्नौर जिले मे सांगला, चित्तकुल, रक्षाम, रिकॉन्गपीओ, कल्पा, नाको आदि आते हैँ....शिमला - काज़ा हाईवे पर एक जगह आती हैँ " सुमदो" वहा पर दोनों जिले की सीमाएं शुरू व समाप्त होती हैँ मतलब पुहु, स्पीलो, नाको होते हुए जब सुमदो पहुंचेंगे तो किन्नौर जिले की सीमा समाप्त हो जाएगी और वहा से स्प

ऋषिकेश

ऋषिकेश और आसपास घूमने वाले स्थान की जानकारी... ऋषिकेश उत्तराखंड राज्य के देहरादून जिले में एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है, जिसे ‘गढ़वाल हिमालय के प्रवेश द्वार’ और ‘योग कैपिटल ऑफ द वर्ल्ड’ के रूप में जाना जाता है। यह शहर हरिद्वार के उत्तर में लगभग 25 कि.मी. और राजधानी देहरादून से 43 कि.मी. दक्षिण-पूर्व में स्थित है। इसे तीर्थ नगरी और हिंदुओं के सबसे पवित्र स्थानों में से एक माना जाता है। प्राचीन समय में ऋषियों-मुनियों ने यहां पर ध्यान, योग और प्रार्थना की थी। वर्ष 2015 में तत्कालीन पर्यटन मंत्री ने ऋषिकेश और हरिद्वार को भारत के ‘जुड़वां राष्ट्रीय विरासत शहरों’ की उपाधि दी थी। यदि आप ऋषिकेश घूमने जाने की योजना बना रहे हैं तो हम आपको यहां देखने वाली जगहों के बारे में बताता हूँ... लक्ष्मण झूला... लक्ष्मण झूला गंगा नदी के ऊपर बना एक प्रसिद्ध हैंगिंग ब्रिज है, जो टिहरी गढ़वाल जिले के तपोवन और पौड़ी गढ़वाल जिले के जोंक को जोड़ता है। लक्ष्मण झूला ऋषिकेश शहर के उत्तर-पूर्व में 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। पूरा पुल लोहे से बना हुआ है और यह 450 फुट लंबा और गंगा नदी से 70 फुट की ऊंचाई पर स्थित ह